परिवर्तन
परिवर्तन एक नियम जहाँ का
हमेशा से स्थाई रहा है
आज है वो कल नहीं था
परिवर्तन हर तरफ छाया हुआ
है
और मजे की बात यह कि
मनुष्य परिवर्तन से घबरा
रहा
स्थाई तो पहले से ही कुछ
नहीं था
परिवर्तन केवल स्थाई है रहा
फिर क्यों हम डर रहे
परिस्थिति से क्यों भाग रहे
क्यों नहीं परिवर्तन को
अपना रहे
अपने आप को क्यों कमज़ोर बना
रहे
कठिन परिवर्तन को अपनाना है
लेकिन अपनाने से आसान हमें
लगता भाग जाना है
अपनी शक्तियों को हम क्षीण
कर रहे
कमज़ोरी के दलदल में
दिन-प्रतिदिन डूब रहे
कर सामना परिवर्तन का
न डर हार से
सम्मान से सर ऊचा रख
मत भाग परिवर्तन की मार से
एक नया मनुष्य जन्म लेगा
फिर
परिवर्तन जो जहाँ में खुद
लाएगा
और वह दिन भी दूर नहीं
जब सारा जग वही परिवर्तन
अपनाएगा !
लेखिका - रीना यादव