जन्मदिन मुबारक हो माँ
जन्मदिन मुबारक हो माँ
कहती है मेरी प्यारी परी
ढेर सारी शुभकामनाओं से
भर दी है मेरी झोली
खुशकिस्मती कहु या कहु मेरा भाग्य
इतना प्यार मिला मुझे
बहुत ही बड़ा मेरा यह
सौभाग्य
खुश मन होकर लिख रहा यह
काव्य
कभी-कभी सोचूँ कि
माँ-बेटी का यह रिश्ता
शायद बदल गया है
तुम्हारे रूप में बेटा मुझे
मेरी माँ का स्वरूप मिल गया
है
दिल में तुम्हारे कितना
प्यार
मेरे लिए भरा है
जिसे जताने के लिए यह
धरती-आकाश भी कम पढ़ गया है
कभी सजा रही है तुम दीवारे
कभी फुला रही तुम गुब्बारे
लिख रही तुम उस पर
“हैप्पी बर्थडे” माँ
जगमगा रही प्यार से
सजी हुई दीवारे
लिखे हुए प्यार से सच्चाई
से
तुमने अनगिनत ख़त मेरे लिए
एक-एक ख़त बयां कर रहा
तुम्हारा लगाव मुझसे
इतना ही नही, बना रही
तुम मेरे लिए केक भी
छुपते-छुपाते
योजनाएँ कितनी बनाई तुमने
प्यारे से रिश्ते के
गीत हम दोनों है गुनगुनाते
वो टिकी-टिकी टेक का खेल
वॉट कलर यूं वांट
है कर रहे हम सारे कार्य
उसके अनुसार
सिमट आया है तुम्हारे रूप
में
इस संसार का ढेर सारा प्यार
डांस का प्रोगाम भी
तुमने है बनाया हुआ
मनोरंजन से भरा दिन
और खुशियों से नहाया हुआ
देखना चाहो बस मुस्कान तुम
हर पल मेरे चेहरे पर
सोचूँ कभी-कभी कितनी
भाग्यवान हूँ मैं
सब कुछ मिल गया मुझे
कमी ना कोई जीवन में मेरे
अब
रिश्ता प्यार का यह सदा यूँ
ही बना रहे
चाहूँ अगले जन्म में हम
रिश्ते को अदल-बदल कर रहे
जिसमे मैं तुम्हारी बेटी
और तुम मेरी माँ रहो !
लेखिका - रीना यादव
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