Tuesday 19 July 2016

Gyan, yog and Guru - by Reena Yadav

    ज्ञान, योग और गुरू


धन्यवाद मनाऊँ उस पल का,
जब मिला साथ ज्ञान, योग गुरू का I
कैसे मिलता योग और  ज्ञान, गुरू बिन,
कैसे मै पाता अपना परिचय I


मिली मुझे योग की सही दिशा,
ना मिलती तो भटकता बस मै यहाँ – वहाँ I
लगाए कैसे आसन, ध्यान का क्या हो तरीका,
ज्ञान, योग और गुरू को पाकर, आया जीने का एक नया सलीका I


गुरू का अर्थ न लगाओ तुम, केवल भक्ति मार्ग पर चलाने वाला,
गुरू कोई भी हो सकता है, जो हो अन्दर के ताप को मिटाने वाला I
भटक रहे है प्राणी जन, खुशी – शांति की तलाश में,
मेरे योग गुरू ने तो मुझे यही सिखाया,
कही मत भाग, ये सब तो है तेरे ही पास में I


धन्यवाद मनाऊँ उस पल का,
जब मिला साथ ज्ञान, योग गुरू का I
कैसे मिलता योग और  ज्ञान, गुरू बिन,

कैसे मै पाता अपना परिचय I

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